देवभूमि की विकट भौगोलिक स्थिति को देखकर इस राज्य को उत्तर प्रदेश से अलग करने की मांग बहुत पहले से उठी थी और 1994 में यह मांग जन जन की आवाज बन गई थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने यहां के लोगों की आवाज दबाने के लिए गोली कांड से लेकर बलात्कार तक जैसे कुकृत्य उनके सरकारी तंत्र ने किये।किंतु यहां के लोगों की आवाज तब भी नहीं दबी। परिणाम स्वरुप सन 2000 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इस राज्य को यूपी से अलग कर उत्तरांचल नाम से इस राज्य को अलग कर दिया था लोग बहुत खुश थे परंतु कहीं यह ठीस भी थी कि रुड़की तक इसका विस्तार क्यों किया गया खैर।यहां 2013 में केदार घाटी में भयंकर महा आपदा आई थी जो पूरा हिंदुस्तान सहित पूरी दुनिया ने जाना किंतु अफसोस इतनी बड़ी आपदा होने के बाद भी सरकारे आज तक नहीं चेती । हर साल सावन भादो में आपदाएं आती हैं घटनाएं घटती हैं किंतु हमेशा यही देखा जाता है कि जब घटनाएं घट जाती हैं तब सरकारे जागती है कहने का आशय यह है कि जब हर साल वर्षा ऋतु में यहाँ खतरो की शंकाये रहती हैं तो सरकारे पहले ही यहां ठोस कदम क्यों नहीं उठाती यात्रा क्यों नहीं पहले ही रोक ली जाती यदि यात्रा पहले ही रोक दी जाए तो काफी जन हानि होने से बचा जा सकता है किंतु यात्रा तब रूकती है जब काफी लोगों के प्राण चले जाते हैं जब से यह राज्य बना तब से इस राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की जितनी भी सरकारें अभी तक यहां आई किसी ने भी इस राज्य के लिए ऐसा काम या ऐसी कोई नीति नहीं बनाई जिससे ये कहा जा सके की देवभूमि सुरक्षित है।
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